मेरे अल्फ़ाज़
Saturday 31 August 2019
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कागज की कश्ती को पतवार कहां चाहिए बचपन की मस्ती को साझेदार कहां चाहिए जब भूख लगे तो खा लेते हैं कुछ भी नन्हे पेट को घरबार कहां चाहिए --...
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मैं सागर हूं लहरों के नीचे पलता हूं कभी धीमे कभी तेज हरदम पर मैं चलता हूं मैं सागर हूं दूजो की खातिर जलता हूं कभी भूकंप कभी सुनामी ...
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जहर का ही तो प्याला हैं, हंसते हंसते पी जाऊंगा सीख की ही तो हाला हैं, पीकर भी जी जाऊंगा एक घूंट छीन ले जाए , खुशियों का मेरी आशियां कमजो...
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जब सोच नहीं छोटी मेरी क्यों फिर मैं आराम करू जब निश्चय हुआ सुदृढ मेरा कोई अनोखा काम करू जब लड़ना ही हैं अंधेरों से फिर क्या सुबह क्या...
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क्या कहूं उसके बारे में इश्क़ की तलब तो मेरे लबों को भी थी वो आए तो मैं मुकर सकता था पर मुहब्बत की लत तो मेरी रगों को भी थी जब वो ...
Wednesday 3 July 2019
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आज ज़िक्र तेरा हो तो आंसू झलकते हैं काफी तेरा नाम ही था कभी मेरी मुस्कान को भागता हूं दूर अब तो तेरे साए से भी काफी तेरा इश्क ही था कभी...
Saturday 29 June 2019
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ज्वाला सी जल रही आग सीने में पल रही नितान्त ये बात खल रही उस मासूम की गलती क्या? दरिंदगी को छोड़कर विचार को निचोड़कर भयभीत मैं हूं स...
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