Friday 8 December 2017

समय के एतराज से भी, कभी ततलीनता से झूमती हैं जिंदगी
मस्तमौला मिजाज में भी, चक्कर खाकर घूमती है जिंदगी
सूने से मन को लेकर, कभी आँखे मुंदती हैं जिंदगी
खिले तन से भी, कभी आँखे चूमती हैं जिंदगी
मारो पत्थर से फिर भी, कभी सह जाती हैं यह जिंदगी
फूलो की टक्कर से भी कभी सहम जाती हैं जिंदगी
कड़वे घूँट पीकर भी, कभी हस्ती हैं जिंदगी
मीठी चासनी चखकर भी, कभी बिफर जाती हैं जिंदगी
बढप्पन दिखलाकर भी, कभी मासूम सी होती हैं जिंदगी
लड़कपन बतलाने पर भी, कभी होशियार हो जाती हैं जिंदगी
किसी के एतबार में भी, कभी मुरझा जाती हैं जिंदगी
किसी से लडकर भी, कभी खिलखिला जाती हैं जिंदगी
मस्तमौला मिजाज में भी, चक्कर खाकर घूमती है जिंदगी
समय के एतराज से भी, कभी ततलीनता से झूमती हैं जिंदगी
---- आनंद सगवालिया