Wednesday, 18 April 2018


जब गुनगुनाने लगे लब मेरे
जब डगमगाने लगे पग मेरे
समझ लेना इश्क तेरा याद आया हैं

जब जगमगाने लगे अरमान दिल के
जब चमचमाने लगे नैन खिल के
समझ लेना इश्क तेरा याद आया हैं

जब नब्ज मेरी हो भारी
जब उमड़ पढ़े मेरी यारी
समझ लेना इश्क तेरा याद आया हैं

जब उठे धुआ सांसो का
जब छुटे कारवा आंसू का
समझ लेना इश्क तेरा याद आया हैं

जब मोह भंग हो दुनिया से
जब मन तंग हो बगिया से
समझ लेना इश्क तेरा याद आया हैं

जब फूल सिमटने लगे हाथों में
जब शब्द लिपटने लगे बातों में
समझ लेना इश्क तेरा याद आया हैं

जब तन्हाई का साया हो
जब सुर्ख ये काया हो
समझ लेना इश्क तेरा याद आया हैं

जब दर्द भरा हो रातो में
जब मर्ज बढ़ा हो नातो में
समझ लेना इश्क तेरा याद आया हैं

जब बनु मुसाफिर यूहीं मैं
जब लगु के काफिर यूं ही मैं
समझ लेना इश्क तेरा याद आया हैं

जब कदम कदम पर रंजिश हो
जब मुझ पर न कोई बंदिश हो
समझ लेना इश्क तेरा याद आया हैं

जब पथ पर न कोई भाई हो
जब नाराज मुझसे लुगाई हो
समझ लेना इश्क तेरा याद आया हैं

---- आनंद सगवालिया