एक नूर को देखा मैने
एक हूर को देखा मैने
मेरे शहर की गलियों में
कोहिनूर को देखा मैने
बिल्कुल ख्वाबों सी लगती
मेरी आंखो में जगती
आंखे नशीली चाल शराबी
बाते बहकी अंदाज नवाबी
कहती मुहब्बत करम मेरा
बांधे क्यों फिर ये धरम मेरा
पतझड़ को ढलते देखा मैने
पत्तों को पलते देखा मैने
दरमियान लफ्जो की आहट के
शांत चितवन को देखा मैने
खिलखिलाते बागियों में फूलों के
प्रसन्न मन को देखा मैने
खुद की आंखो के पाटों से
मदमस्त फितूर को देखा मैने
एक नूर को देखा मैने
एक हूर को देखा मैने
मेरे शहर की गलियों में
कोहिनूर को देखा मैने
-- आनंद सगवालिया
एक हूर को देखा मैने
मेरे शहर की गलियों में
कोहिनूर को देखा मैने
बिल्कुल ख्वाबों सी लगती
मेरी आंखो में जगती
आंखे नशीली चाल शराबी
बाते बहकी अंदाज नवाबी
कहती मुहब्बत करम मेरा
बांधे क्यों फिर ये धरम मेरा
पतझड़ को ढलते देखा मैने
पत्तों को पलते देखा मैने
दरमियान लफ्जो की आहट के
शांत चितवन को देखा मैने
खिलखिलाते बागियों में फूलों के
प्रसन्न मन को देखा मैने
खुद की आंखो के पाटों से
मदमस्त फितूर को देखा मैने
एक नूर को देखा मैने
एक हूर को देखा मैने
मेरे शहर की गलियों में
कोहिनूर को देखा मैने
-- आनंद सगवालिया