युग युग की बात है दर्द जन्मजात हैं
मांगने से भला कब मिलता किसी का साथ हैं
जिंदगी खुले पन्नों की किताब हैं
जिसकी जैसी जरूरत उसका उतना हिसाब हैं
तन्हाइयों के आलम का सबको अहसास हैं
झूठ पर रहता सच से ज्यादा विश्वास है
सब देखें अपना दूजो से न अब आस हैं
सफर जारी है पर रास्तों का न आभास है
दौड़ के दौर में वक्त किसके पास हैं
युग युग की बात है दर्द जन्मजात हैं
मांगने से भला कब मिलता किसी का साथ हैं
मांगने से भला कब मिलता किसी का साथ हैं
जिंदगी खुले पन्नों की किताब हैं
जिसकी जैसी जरूरत उसका उतना हिसाब हैं
तन्हाइयों के आलम का सबको अहसास हैं
झूठ पर रहता सच से ज्यादा विश्वास है
सब देखें अपना दूजो से न अब आस हैं
सफर जारी है पर रास्तों का न आभास है
दौड़ के दौर में वक्त किसके पास हैं
युग युग की बात है दर्द जन्मजात हैं
मांगने से भला कब मिलता किसी का साथ हैं
-- आनंद सगवालिया
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