मिसालें किसकी दू?
वह जिंदगी जो कांटो पर खड़ी हैं?
वह खुशी जिसमें रिश्तों की गांठ पड़ी हैं?
वह नींद जिसमें सपनों की पोटली गड़ी हैं?
या वह खूबसूरती जो बस इतराने पर अड़ी हैं?
मिसालें किसकी दू?
वह वक्त जो रुकना नहीं जानता?
वह मन जो कहा नहीं मानता?
वह यौवन जो खुदको नहीं पहचानता?
या वह इश्क जो ख़ुदपरस्ती को ही खुदा जानता?
मिसालें किसकी दू?
मैं जो मुझ में ही चूर हैं?
हम जो की लगे के खुद से ही दूर हैं?
अहम जो फैला तलक सुदूर हैं?
या वहम जो कहता कि तू हूर हैं?
मैं तो खुद ही खोट हूं!
नोटबंदी में बंद नोट हूं!!
बता मुझे क्यों न सिसकी लू?
मिसालें किसकी दू?
मिसालें किसकी दू?
-- आनंद सगवालिया
वह जिंदगी जो कांटो पर खड़ी हैं?
वह खुशी जिसमें रिश्तों की गांठ पड़ी हैं?
वह नींद जिसमें सपनों की पोटली गड़ी हैं?
या वह खूबसूरती जो बस इतराने पर अड़ी हैं?
मिसालें किसकी दू?
वह वक्त जो रुकना नहीं जानता?
वह मन जो कहा नहीं मानता?
वह यौवन जो खुदको नहीं पहचानता?
या वह इश्क जो ख़ुदपरस्ती को ही खुदा जानता?
मिसालें किसकी दू?
मैं जो मुझ में ही चूर हैं?
हम जो की लगे के खुद से ही दूर हैं?
अहम जो फैला तलक सुदूर हैं?
या वहम जो कहता कि तू हूर हैं?
मैं तो खुद ही खोट हूं!
नोटबंदी में बंद नोट हूं!!
बता मुझे क्यों न सिसकी लू?
मिसालें किसकी दू?
मिसालें किसकी दू?
-- आनंद सगवालिया