आज ज़िक्र तेरा हो तो आंसू झलकते हैं
काफी तेरा नाम ही था कभी मेरी मुस्कान को
भागता हूं दूर अब तो तेरे साए से भी
काफी तेरा इश्क ही था कभी मेरी पहचान को
भूल से भी तुझे देखने की भूल अब नहीं होती
काफी तेरा नूर ही था कभी मेरे हर अरमान को
राहों में चलता हूं अकेले आंखो में आंसू अब लिए
काफी तेरा साथ ही था कभी मेरी हर शाम को
चाहकर भी अब न रोक पाता हू खुद को
काफी तेरे लफ्ज़ थे कभी मेरे इत्मीनान को
ख्वाहिश मैं तुझसे न मिलू सहसा भी अब कहीं
काफी तेरा दर्द हैं मेरी राह ए शमशान को
बेबुनियाद तेरे वादे तेरी कसमें थी बेवफा
काफी तेरी रुखसत हैं मेरे इंतकाम को
-- आनंद सगवालिया
काफी तेरा नाम ही था कभी मेरी मुस्कान को
भागता हूं दूर अब तो तेरे साए से भी
काफी तेरा इश्क ही था कभी मेरी पहचान को
भूल से भी तुझे देखने की भूल अब नहीं होती
काफी तेरा नूर ही था कभी मेरे हर अरमान को
राहों में चलता हूं अकेले आंखो में आंसू अब लिए
काफी तेरा साथ ही था कभी मेरी हर शाम को
चाहकर भी अब न रोक पाता हू खुद को
काफी तेरे लफ्ज़ थे कभी मेरे इत्मीनान को
ख्वाहिश मैं तुझसे न मिलू सहसा भी अब कहीं
काफी तेरा दर्द हैं मेरी राह ए शमशान को
बेबुनियाद तेरे वादे तेरी कसमें थी बेवफा
काफी तेरी रुखसत हैं मेरे इंतकाम को
-- आनंद सगवालिया
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