Sunday, 7 January 2018

चलते चलते युही ये सफर एक दिन काट जाएगा
कारवाँ जिंदगी का एक दिन सिमट जाएगा
आज किसी का हैं कल तेरा भी वक्त आएगा
पहले ही सोच लेना जब जाएगा तो खुदा को क्या बतलाएगा
तराना जिंदगी का हँसके गाएगा
या दुखी मन से पछताएगा
कर्म का ही ये खेल है बन्दे
अच्छे किए तो तर जाएगा
नही तो टूट कर बिखर जाएगा
खेल की तरह हे जिंदगी भी
कोई जीतकर जाएगा कोई हारकर जाएगा
ख़ुशी के पल समेटना सुरु कर दो
क्या पता तुम्हारा तार कब कट जाएगा
राह में पत्थर मिलेंगे तो क्या तू कर जाएगा
ठोकर उनसे खाएगा या उनको पार कर जाएगा
चलते चलते युही ये सफर एक दिन काट जाएगा
कारवाँ जिंदगी का एक दिन सिमट जाएगा।।

---- आनंद सगवालिया

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