Monday, 5 February 2018

पूछा मेने आज सखा से मिला मुझे जो मदिरालय
क्या मिला मद में हो चूर तुझे बता मुझे ओ मतवाले
बोला वो पूछ मत सुख मुझसे तू प्यारे मदपान का
लेकर खुद ही देख सखा क्या मजा है इस रसपान का
मैं बोला मुझे आनंद आता हैं जाकर शिवालय में
मेरा रंग नही जमेगा जाकर किसी मदिरालय में
वो बोला भंग से रंग जमा आकर एक दिन मदिरालय में
भूल जाएगा जो सुख मिला तुझे प्यारे शिवालय में
मैं बोला भक्ति में रस हैं वो हैं कहा मधुपान में
मधुरस से कोई नही झुकेगा यार मेरे सम्मान में
वो बोला भक्ति में चूर हो आज इस रस की मधुपान में
झुक जाएगा शीश तेरा एक प्याले के सम्मान में
मैने एक घूँट पिया कहने से उसके फिर मधुपान का
तब जाके मुझे भान हुआ सुधा अमृत रसपान का
पूछा मेने आज सखा से मिला मुझे जो मदिरालय
क्या मिला मद में हो चूर तुझे बता मुझे ओ मतवाले
बोला वो पूछ मत सुख मुझसे तू प्यारे मदपान का
लेकर खुद ही देख सखा क्या मजा है इस रसपान का

----आनंद सगवालिया

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