Tuesday, 14 August 2018


मां भारती का हर पूत आजादी का परवाना था
न लाठी की थी परवाह ना जान की थी फिकर
वो भी क्या दिन थे जब वतन पर मिटने को बच्चा बच्चा दीवाना था
धर्म जुदा और जात जुदा पर न थे उनके हाथ जुदा
गांधी का साथी मौलाना और अशफ़ाक भगत का याराना
तौर तरीके न मिले पर सोच मिली थी सबकी
अंग्रेजो की लालकर वो कहते थे गीदड़ भभकी
न मौत का डर था दिल में न खौफ कोई था आंखो में
जोश बदन में न भी हो तो जोश भरा था इरादों में
नेहरू के कहने पर बच्चा बच्चा जुट जाता था
आजाद नाम रखकर कोई वतन पर मस्ती में लूट जाता था
शर्म भरी है आज आंखो में कैसे तुमको ये बतलाए
कीमत आजादी की कैसे इन मक्कारो को समझाए
आज न सुधरे तो कल फिर कोई गुलाम बनाएगा
फिर गुलाम हुए तो न कोई भगत सिंह न गांधी अब आएगा
राजनीति न करो नाम पर उन शूर वीरो के
पूज्यनीय है एक एक अब चरण छुओ भारत के हीरो के

स्वतंत्रता दिवस के पावन अवसर पर तमाम भारतवासियों को बधाई।
मैं कृतज्ञ राष्ट्र का नागरिक तमाम स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को नमन करता हूं।
न मिला आजादी को कुर्बान होने का सुख हमें
किस्मत उन परवानों की और ही थी।
इंकलाब ज़िंदाबाद
हिन्दुस्तान जिंदाबाद
वन्दे मातरम्
भारत माता की जय
आनंद सगवालिया

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