जो अपने लहू से देश को तृप्त कर जाता हैं
जो पसीने से लथपथ खेतो में फसल उगाता हैं
क्यों खुदा तू हमेशा एसो को ही पास बुलाता हैं
कर्म को धर्म मानकर जो बड़ता चला जाता हैं
पहाड़ दुखो का हसकर जो वहन कर जाता है
क्यों खुदा तू हमेशा एसो को ही पास बुलाता हैं
आतंकी अधर्मी को तू माफ कर जाता हैं
पर धर्म को पालने वाला साफ यहां हो जाता हैं
क्यों खुदा तू हमेशा एसो को ही पास बुलाता हैं
ढोंगी भ्रष्टाचारी को भी मस्त मजा करवाता हैं
न हो अत्याचारी तो तू उसको बड़ा रुलाता हैं
क्यों खुदा तू हमेशा एसो को ही पास बुलाता हैं
देश धर्म से नाता जिनका उनको सबक सिखाता हैं
पापी जितना हो उतना जग में वह हसता चला जाता हैं
क्यों खुदा तू हमेशा एसो को ही पास बुलाता हैं
एक सैनिक देश पर सर्वस्व कुर्बान कर जाता हैं
किसान भरने को पेट सबके खुद लूटता चला जाता हैं
क्यों खुदा तू हमेशा एसो को ही पास बुलाता हैं
भारत भूमि के जवानों को क्यों इतना तड़पाता हैं
हिन्द के किसानों को क्यों दुखदर्द पहुंचाता हैं
क्यों खुदा तू हमेशा एसो को ही पास बुलाता हैं
-- आनंद सगवालिया
जो पसीने से लथपथ खेतो में फसल उगाता हैं
क्यों खुदा तू हमेशा एसो को ही पास बुलाता हैं
कर्म को धर्म मानकर जो बड़ता चला जाता हैं
पहाड़ दुखो का हसकर जो वहन कर जाता है
क्यों खुदा तू हमेशा एसो को ही पास बुलाता हैं
आतंकी अधर्मी को तू माफ कर जाता हैं
पर धर्म को पालने वाला साफ यहां हो जाता हैं
क्यों खुदा तू हमेशा एसो को ही पास बुलाता हैं
ढोंगी भ्रष्टाचारी को भी मस्त मजा करवाता हैं
न हो अत्याचारी तो तू उसको बड़ा रुलाता हैं
क्यों खुदा तू हमेशा एसो को ही पास बुलाता हैं
देश धर्म से नाता जिनका उनको सबक सिखाता हैं
पापी जितना हो उतना जग में वह हसता चला जाता हैं
क्यों खुदा तू हमेशा एसो को ही पास बुलाता हैं
एक सैनिक देश पर सर्वस्व कुर्बान कर जाता हैं
किसान भरने को पेट सबके खुद लूटता चला जाता हैं
क्यों खुदा तू हमेशा एसो को ही पास बुलाता हैं
भारत भूमि के जवानों को क्यों इतना तड़पाता हैं
हिन्द के किसानों को क्यों दुखदर्द पहुंचाता हैं
क्यों खुदा तू हमेशा एसो को ही पास बुलाता हैं
-- आनंद सगवालिया
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