Thursday, 20 June 2019

तुम क्या जानों मोल प्रीत का
तुम तो बड़ी रुसवाई हो
नखरे दिखाती रोज मुझे
फिर भी तुम मुझको भायी हो

मुद्दत हुई इंतजार करते
तुम पास मेरे कब आई हो
आजीवन जिससे प्यार किया
तुम तो वो हरजाई हो

कैसे खुदको आजाद करू
तुम तो नशे सी छाई हो
जिसने छूकर बीमार किया
तुम वो ठंडी पुरवाई हो

स्वप्न हसी एक देखा मैने
तुम तो मन में आई हो
जिसको खाऊ बड़े चाव से
तुम वो रसीली मिठाई हो

दर्द देखकर भी तुम मेरा
न हाल जानने आई हो
दिल का हाल बेहाल मेरा पर
तुम कब मेरे लिए घबराई हो

रास्ता देख रहा हूं जिसका
तुम वह स्वप्न लुगाई हो
जिसको सोता दिल से लपेटकर
तुम तो मेरी रजाई हो

तुम क्या जानों मोल प्रीत का
तुम तो बड़ी रुसवाई हो
नखरे दिखाती रोज मुझे
फिर भी तुम मुझको भायी हो

--- आनंद सगवालिया

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